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2024 उपनयन मुहूर्त: उपनयन संस्कार 2024 तिथि और मुहूर्त

Author: Vijay Pathak | Last Updated: Mon 2 Sep 2024 3:36:06 PM

एस्ट्रोकैंप के 2024 उपनयन मुहूर्त ब्लॉग में आपको साल 2024 में उपनयन संस्कार की तिथि और मुहूर्त संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकरियां प्राप्त होंगी। साथ ही, उपनयन संस्कार का महत्व, इसके लाभ तथा इस अनुष्ठान के दौरान बरती जानी वाली सावधानियों आदि से भी अवगत कराएंगे। तो बिना देर किए आइए नज़र डालते हैं 2024 उपनयन मुहूर्त की सूची पर।

2024 उपनयन मुहूर्त

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2025 के उपनयन मुहूर्त को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: उपनयन मुहूर्त 2025

2024 उपनयन मुहूर्त: उपनयन संस्कार 2024 तिथि एवं समय

2024 उपनयन मुहूर्त: जनवरी

तिथि

दिन

मुहूर्त

21 जनवरी

रविवार

शाम 19:27 से रात्रि 27:52 तक

26 जनवरी

शुक्रवार

रात्रि 25:20 से 31:12 तक

31 जनवरी

बुधवार

सुबह 07:10 से 11:36 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: फरवरी

तिथि

दिन

मुहूर्त

11 फरवरी

रविवार

शाम 17:39 से रात्रि 31:03 तक

12 फरवरी

सोमवार

सुबह 07:03 से दोपहर 14:56 तक

14 फरवरी

बुधवार

सुबह 11:31 से दोपहर 12:10 तक

18 फरवरी

रविवार

रात्रि 22:24 से 30:57 तक

19 फरवरी

सोमवार

सुबह 06:57 से रात्रि 21:20 तक

25 फरवरी

रविवार

रात्रि 20:36 से 25:24 तक

26 फरवरी

सोमवार

रात्रि 28:31 से 30:49 तक

28 फरवरी

बुधवार

रात्रि 28:19 से 30:47 तक

29 फरवरी

बृहस्‍पतिवार

सुबह 06:47 से 10:22 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: मार्च

तिथि

दिन

मुहूर्त

27 मार्च

बुधवार

सुबह 09:36 से शाम 16:15 तक

29 मार्च

शुक्रवार

रात्रि 20:36 से 27:01 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: अप्रैल

तिथि

दिन

मुहूर्त

12 अप्रैल

शुक्रवार

दोपहर 13:12 से रात्रि 29:58 तक

17 अप्रैल

बुधवार

दोपहर 15:14 से रात्रि 29:53 तक

18 अप्रैल

बृहस्‍पतिवार

सुबह 05:53 से 07:09 तक

25 अप्रैल

बृहस्‍पतिवार

रात्रि 28:53 से 29:45 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: मई

तिथि

दिन

मुहूर्त

09 मई

बृहस्‍पतिवार

दोपहर 12:56 से शाम 17:30 तक

10 मई

शुक्रवार

सुबह 06:22 से 08:17 तक

शुक्रवार

सुबह 10:32 से शाम 17:26 तक

12 मई

रविवार

सुबह 06:14 से 10:24 तक

रविवार

दोपहर 12:44 से शाम 19:38 तक

17 मई

शुक्रवार

सुबह 10:04 से दोपहर 14:42 तक

शुक्रवार

शाम 16:58 से 19:18 तक

18 मई

शनिवार

सुबह 06:00 से 07:46 तक

शनिवार

सुबह 10:01 से शाम 16:54 तक

19 मई

रविवार

दोपहर 14:34 से शाम 16:51 तक

20 मई

सोमवार

सुबह 09:53 से शाम 16:47 तक

24 मई

शुक्रवार

सुबह 07:22 से 11:57 तक

25 मई

शनिवार

सुबह 11:53 से दोपहर 14:11 तक

शनिवार

शाम 16:27 से 18:46 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: जून

तिथि

दिन

मुहूर्त

08 जून

शनिवार

सुबह 06:23 से 08:38 तक

शनिवार

सुबह 10:58 से शाम 17:51 तक

09 जून

रविवार

सुबह 06:19 से 08:34 तक

रविवार

सुबह 10:54 से शाम 17:48 तक

10 जून

सोमवार

शाम 17:44 से रात्रि 20:02 तक

16 जून

रविवार

सुबह 08:07 से दोपहर 15:00 तक

रविवार

शाम 17:20 से 19:39 तक

17 जून

सोमवार

सुबह 05:54 से 08:03 तक

सोमवार

सुबह 10:23 से शाम 17:16 तक

22 जून

शनिवार

सुबह 07:43 से दोपहर 12:21 तक

शनिवार

दोपहर 14:37 से शाम 18:24 तक

23 जून

रविवार

सुबह 07:39 से दोपहर 12:17 तक

रविवार

दोपहर 14:33 से शाम 19:11 तक

26 जून

बुधवार

सुबह 09:48 से शाम 16:41 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: जुलाई

तिथि

दिन

मुहूर्त

07 जुलाई

रविवार

सुबह 06:44 से 09:04 तक

रविवार

सुबह 11:22 से शाम 18:16 तक

08 जुलाई

सोमवार

सुबह 06:40 से 09:00 तक

सोमवार

सुबह 11:18 से शाम 18:12 तक

10 जुलाई

बुधवार

दोपहर 13:26 से शाम 18:04 तक

11 जुलाई

बृहस्‍पतिवार

सुबह 06:28 से 11:06 तक

17 जुलाई

बुधवार

सुबह 07:33 से 08:25 तक

21 जुलाई

रविवार

शाम 17:21 से 19:25 तक

22 जुलाई

सोमवार

सुबह 06:08 से दोपहर 12:39 तक

सोमवार

दोपहर 14:58 से शाम 18:27 तक

25 जुलाई

बृहस्‍पतिवार

सुबह 07:54 से शाम 17:05 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: अगस्‍त

तिथि

दिन

मुहूर्त

07 अगस्‍त

बुधवार

सुबह 07:02 से 09:20 तक

बुधवार

सुबह 11:36 से शाम 18:18 तक

09 अगस्‍त

शुक्रवार

सुबह 06:55 से 11:28 तक

शुक्रवार

दोपहर 13:48 से शाम 18:10 तक

14 अगस्‍त

बुधवार

सुबह 11:09 से दोपहर 13:28 तक

15 अगस्‍त

बृहस्‍पतिवार

दोपहर 13:24 से शाम 17:47 तक

16 अगस्‍त

शुक्रवार

सुबह 11:01 से शाम 17:43 तक

17 अगस्‍त

शनिवार

सुबह 06:23 से 08:40 तक

21 अगस्‍त

बुधवार

सुबह 07:19 से दोपहर 13:00 तक

बुधवार

दोपहर 15:19 से शाम 19:05 तक

23 अगस्‍त

शुक्रवार

दोपहर 12:53 से 15:11 तक

शुक्रवार

शाम 17:15 से 18:57 तक

24 अगस्‍त

शनिवार

सुबह 06:38 से 08:13 तक

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2024 उपनयन मुहूर्त: सितंबर

तिथि

दिन

मुहूर्त

04 सितंबर

बुधवार

दोपहर 12:05 से शाम 18:10 तक

05 सितंबर

बृहस्‍पतिवार

सुबह 07:26 से 09:42 तक

बृहस्‍पतिवार

दोपहर 12:02 से शाम 18:06 तक

06 सितंबर

शुक्रवार

सुबह 07:22 से 09:38 तक

शुक्रवार

सुबह 11:58 से शाम 16:20 तक

08 सितंबर

रविवार

सुबह 07:20 से 11:50 तक

रविवार

दोपहर 14:08 से शाम 16:12 तक

13 सितंबर

शुक्रवार

सुबह 09:11 से दोपहर 15:53 तक

शुक्रवार

शाम 17:35 से 19:02 तक

14 सितंबर

शनिवार

सुबह 07:15 से 09:07 तक

15 सितंबर

रविवार

सुबह 06:46 से 09:03 तक

रविवार

सुबह 11:22 से शाम 17:27 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: अक्‍टूबर

तिथि

दिन

मुहूर्त

04 अक्‍टूबर

शुक्रवार

सुबह 06:47 से 10:08 तक

शुक्रवार

दोपहर 12:26 से शाम 17:40 तक

07 अक्‍टूबर

सोमवार

दोपहर 14:18 से शाम 18:53 तक

12 अक्‍टूबर

शनिवार

सुबह 11:55 से दोपहर 15:41 तक

शनिवार

शाम 17:08 से 18:33 तक

13 अक्‍टूबर

रविवार

सुबह 09:32 से दोपहर 15:37 तक

14 अक्‍टूबर

सोमवार

सुबह 07:11 से 09:28 तक

सोमवार

सुबह 11:47 से शाम 17:00 तक

18 अक्‍टूबर

शुक्रवार

सुबह 06:55 से दोपहर 13:35 तक

21 अक्‍टूबर

सोमवार

सुबह 09:01 से दोपहर 15:05 तक

सोमवार

शाम 16:33 से शाम 18:44 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: नवंबर

तिथि

दिन

मुहूर्त

03 नवंबर

रविवार

सुबह 07:06 से 10:28 तक

रविवार

दोपहर 12:32 से शाम 17:07 तक

04 नवंबर

सोमवार

सुबह 07:07 से 10:24 तक

06 नवंबर

बुधवार

सुबह 07:08 से दोपहर 12:20 तक

बुधवार

दोपहर 14:03 से शाम 18:30 तक

11 नवंबर

सोमवार

सुबह 09:57 से दोपहर 15:10 तक

सोमवार

शाम 16:35 से 18:11 तक

13 नवंबर

बुधवार

सुबह 07:30 से 09:49 तक

बुधवार

सुबह 11:35 से दोपहर 13:35 तक

17 नवंबर

रविवार

सुबह 07:17 से दोपहर 13:19 तक

रविवार

दोपहर 14:47 से शाम 19:42 तक

20 नवंबर

बुधवार

सुबह 11:25 से शाम 16:00 तक

2024 उपनयन मुहूर्त: दिसंबर

तिथि

दिन

मुहूर्त

04 दिसंबर

बुधवार

सुबह 07:30 से 10:30 तक

बुधवार

दोपहर 12:12 से 15:05 तक

05 दिसंबर

बृहस्पतिवार

दोपहर 13:36 से शाम 18:32 तक

06 दिसंबर

शुक्रवार

सुबह 07:32 से दोपहर 12:05 तक

11 दिसंबर

बुधवार

सुबह 07:35 से 07:59 तक

बुधवार

सुबह 10:03 से शाम 16:13 तक

12 दिसंबर

बृहस्पतिवार

सुबह 07:36 से 09:59 तक

15 दिसंबर

रविवार

दोपहर 15:57 से रात्रि 20:07 तक

16 दिसंबर

सोमवार

सुबह 07:39 से दोपहर 12:53 तक

सोमवार

दोपहर 14:18 से रात्रि 20:03 तक

19 दिसंबर

बृहस्पतिवार

सुबह 11:14 से दोपहर 14:06 तक

बृहस्पतिवार

दोपहर 15:41 से शाम 19:03 तक

कब करें उपनयन संस्कार? 

बच्‍चे के पांच या आठ साल के होने पर उसका जनेऊ संस्‍कार करना चाहिए। क्षत्रिय वर्ग के लिए जनेऊ संस्‍कार की आयु 6 या 11 साल है और वैश्‍य वर्ग के लिए यह उम्र आठ या बारह साल है।

उपनयन संस्‍कार शनिवार के दिन नहीं करना चाहिए और रात्रि के समय, शाम के समय, प्रात:काल में भी यह संस्‍कार नहीं किया जाता है। इसके अलावा भद्रा काल में भी उपनयन संस्‍कार करने से बचना चाहिए।

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2024 उपनयन मुहूर्त का महत्‍व

सनातन धर्म में 16 संस्‍कारों में से एक जनेऊ संस्‍कार भी है। हिंदू धर्म में इस संस्‍कार को दसवां स्‍थान दिया गया है। इस संस्‍कार में लड़कों को जनेऊ नामक पवित्र सूत्र पहनाया जाता है। ब्राह्मण, क्षत्रिय जैसे कई वर्गों में जनेऊ संस्‍कार किया जाता है। उपनयन शब्‍द दो शब्‍दों के जोड़ से बना है - उप और नयन। इस प्रकार उपनयन का अर्थ है व्‍यक्‍ति को अंधकार से दूर रखते हुए ज्ञान रूपी रोशनी की ओर लेकर जाना। इस संस्‍कार को हिंदू धर्म में बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है।

उपनयन संस्‍कार में पंडित जी बालक के बाएं कंधे पर और दाएं हाथ के नीचे जनेऊ पहनाते हैं। जनेऊ तीन धागों से बना होता है जो ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसके अलावा ये धागे या सूत्र देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण का भी प्रतीक माने जाते हैं। यह भी मान्‍यता है कि ये सूत्र सत्‍व, राह और तम का कारक हैं। इन्‍हें गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक भी माना जाता है।

जनेऊ संस्‍कार को लेकर हिंदू धर्म में यह भी मान्‍यता है कि इसके तीन सूत्र तीन आदर्शों का कारक हैं। इसमें जनेऊ का पहला सूत्र धार्मिक मार्ग पर चलने, दूसरा सूत्र माता-पिता और उनकी पर‍वरिश और तीसरा अध्‍यात्‍म से जुड़ी शिक्षा लेने को दर्शाता है। हिंदू धर्म में जनेऊ कोई साधारण धागा नहीं है बल्कि यह एक पवित्र और आध्यात्मिक सूत्र है जो व्‍यक्‍ति को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

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जनेऊ का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्‍व एवं स्‍वास्‍थ्‍य लाभ

2024 उपनयन मुहूर्त के अनुसार जनेऊ को व्‍यक्‍ति की पहचान का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा माना जाता है। जनेऊ धारण करने के बाद उचित नियमों का पालन करना होता है। शास्‍त्रों के अनुसार जनेऊ संस्‍कार के बाद ही बच्‍चे को यज्ञ करने और शिक्षा प्राप्‍त करने की अनुमति होती है।

जनेऊ धारण करने से व्‍यक्‍ति को बुरे सपने नहीं आते हैं। चूंकि, जनेऊ हृदय के नज़दीक होता है इसलिए यह हृदय से संबंधित रोगों की आशंका को भी कम करता है। यह सूत्र व्‍यक्‍ति को दांतों, पेट और बैक्‍टीरिया से होने वाली बीमारियों से दूर रखता है।

इस पवित्र सूत्र को कान के ऊपर से बांधने से सूर्य नाड़ी जागृत हो जाती है। इसके अलावा यह सूत्र व्‍यक्‍ति को पेट से जुड़ी परेशानियों और ब्‍लड प्रेशर से संबंधित दिक्‍कतों से भी सुरक्षा देता है। यह गुस्‍से को भी नियंत्रित करता है।

जनेऊ धारण करने से व्‍यक्‍ति को ऐसा लगता है कि जैसे उसका शरीर और आत्‍मा दोनों शुद्ध हो गए हैं और उसके मन में बुरे विचार नहीं आते हैं। जनेऊ सूत्र कब्ज, एसिडिटी, पेट की बीमारियों और कई तरह के संक्रमणों से बचाव करता है।

2024 उपनयन मुहूर्त की गणना करते समय रखें इन बातों का ध्यान 

उपनयन मुहूर्त के लिए शुभ तिथियों की गणना करने के लिए पंचांग देखा जाता है। ज्योतिषी लग्न, दिन, तिथि और नक्षत्र देखने के लिए पंचांग का ही उपयोग करते हैं। इन सभी चीजों को देखने के बाद उपनयन मुहूर्त निकाला जाता है।

आगे जानिए किस नक्षत्र, दिन, लग्न और महीने में उपनयन संस्कार किया जाता है।

नक्षत्र : 2024 उपनयन मुहूर्त के लिए आर्द्रा नक्षत्र, अश्विनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, स्‍वाति नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्‍ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र आदि शुभ माने जाते हैं।

वार: 2024 उपनयन मुहूर्त के लिए रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्‍पतिवार और शुक्रवार का दिन शुभ माना जाता है।

लग्न: 2024 उपनयन मुहूर्त के लिए लग्न से शुभ ग्रह छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होने चाहिए या शुभ ग्रह तीसरे, छठे और ग्‍यारहवें भाव में होने चाहिए। इसके अलावा चंद्रमा लग्‍न में वृषभ राशि या कर्क राशि में हो, तो शुभ माना जाता है।

महीना: चैत्र, वैशाख, माघ और फाल्‍गुन के महीनों को जनेऊ संस्‍कार के लिए अच्‍छा माना जाता है।

जनेऊ संस्‍कार की विधि

यदि उपनयन संस्‍कार ठीक तरह से किया जाए, तो इससे बच्‍चे को शुभ फल प्राप्‍त होते हैं। तो चलिए जानते हैं जनेऊ संस्‍कार करने की विधि के बारे में।

  • आमतौर पर बचपन में ही जनेऊ संस्‍कार कर दिया जाता है। हिंदू धर्म में जनेऊ पहनाने से पहले बच्‍चे का मुंडन करवाने की परंपरा है।
  • इसके बाद बच्‍चे को नहलाया जाता है और फिर उसके पूरे शरीर पर यानी सिर से लेकर पैर तक चंदन लगाया जाता है। इसके उपरांत गणेश पूजा करने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
  • देवी-देवताओं का स्‍मरण करते हुए 10,000 बार गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है और इसके बाद बालक शास्‍त्रों एवं धर्मग्रंथों का पालन करने की प्रतिज्ञा लेता है।
  • अब बच्‍चे को उसी के उम्र के अन्‍य लड़कों के साथ चूरमा खिलाया जाता है और फिर उसे दोबारा स्नान करवाया जाता है।
  • जनेऊ संस्‍कार में पंडित, पिता या परिवार का कोई बड़ा सदस्‍य गायत्री मंत्र का जाप करते हुए बालक से कहते हैं 'आज से तुम ब्राह्मण हो'। इसके बाद बालक को एक डंडा दिया जाता है और बालक वहां उपस्थित लोगों से भिक्षा मांगता है। 
  • प्राचीन समय में जनेऊ संस्‍कार के बाद बच्‍चे को शिक्षा प्राप्‍त करने के लिए काशी जाना पड़ता था।

जनेऊ संस्‍कार के नियम

जानिए जनेऊ संस्‍कार को लेकर किन नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।

  • जनेऊ संस्‍कार के दिन उपनयन संस्कार के मुहूर्त में यज्ञ किया जाना चाहिए।
  • यज्ञ में बच्‍चे को अपने परिवार के सभी सदस्‍यों के साथ बैठना चाहिए।
  • बालक को यज्ञ में बिना सिले कपड़े या धोती पहन कर बैठना होता है और उसे एक छड़ी भी दी जाती है। बच्‍चे के गले में पीले रंग का कपड़ा डाला जाता है और पैरों में खड़ाऊ पहनाए जाते हैं।
  • मुंडन के समय बच्‍चे के सिर पर एक चोटी छोड़ दी जाती है। जनेऊ का रंग पीला होना चाहिए।
  • 2024 उपनयन मुहूर्त के अनुसार मल-मूत्र करते समय जनेऊ को दाएं कान पर डाल लेना चाहिए और हाथ धोने के बाद ही इसे कान से हटाना चाहिए।
  • अगर जनेऊ के तीन सूत्रों में से कोई भी एक धागा टूट जाता है, तो नया जनेऊ धारण करना चाहिए।
  • अगर आपने जनेऊ धारण कर रखा है, तो नया यज्ञोपवीत करने पर ही आप जनेऊ को उतार सकते हैं।

यज्ञोपवीत - जनेऊ धारण करने के लाभ

जानिए हिंदू धर्म के अनुसार जनेऊ धारण करने या यज्ञोपवीत के जातक को कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते हैं।

  • यह व्‍यक्‍ति के जीवन में सकारात्‍म‍क ऊर्जा लेकर आता है और नकारात्‍मकता को दूर करता है।
  • जनेऊ का पवित्र सूत्र बच्‍चे को ताकत और शक्‍ति देता है और उसके जीवन में संतुलन लेकर आता है।
  • ऐसा माना जाता है कि जनेऊ बच्‍चे की बुद्धि को भी बढ़ाता है और इसे पहनने के बाद बच्‍चे वेद और पुराणों का ज्ञान प्राप्‍त करने में सक्षम होते हैं।
  • उपनयन मुहूर्त बुरी शक्‍तियों से बच्‍चे की रक्षा करता है।

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी लेख के लिए बने रहिए एस्ट्रोकैंप के साथ। धन्यवाद !

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